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कोई… (Koi)

यूँ ही कोई क्यों अच्छा लगने लगा है ,
अनजान हो कर भी अपना होने लगा है।
कुछ तो बात होगी उसके चेहरे में,
जो आम हो कर भी वो ख़ास लगने लगा है।

ऐसे तो कभी दिल धड़का नहीं,
न ही कभी बेचैन हुई थी साँसें,
अब उसके आने की आहट से ही,
महसूस कुछ अलग होने लगा है।

वक़्त की बेवफाई है,
या फिर खुदा खुद मेहरबान है,
इस कशमकश के दरमियान अब,
दिल मेरा कुछ डरने लगा है।

जानती हूँ की महोब्बत से बहुत दूर हो तुम,
ये भी पता है की दिल से मासूम हो तुम,
चुप रहूं या कहदूँ तुम्हे दिल की बात,
मामला अब यहां आके बिगड़ने लगा है।

सोचती हूँ की किसी दिन फुर्सत में बताएंगे,
किस्से कुछ अनकहे फिर तुम्हे सुनाएंगे,
पर कैसे समझाऊं इस दिल को,
ये अब मुझसे ही बगावत करने लगा है….

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Neha Sharma: An engineer by degree, explorer at heart, now a Team Leader (Content/ Creative writing dept.) @KVR Webtech Pvt Ltd. With a vision to express every feeling with diverse write-ups, have been successful in giving life to different niches including life-style, fashion, healthcare, real estate, finance, education and many others.
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