अधुरी थी पर तनहा नहीं। अधुरी तो थी मैं पर तनहा नहीं, रास्ते तो कई थे पर कोई मंज़िल नहीं, तलाश थी खुद को पाने की, अकेली थी पर टूटी नहीं। अधुरी तो थी मैं पर तनहा नहीं, अज़ीज़ तो कई थे पर कोई अपना… Details Mehak Bhateja / June 7, 2022